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‘‘जनजातीय समाज का गौरवशाली अतीत’’ कार्यक्रम शासकीय शहीद कौशल यादव महाविद्यालय, गुण्डरदेही।

परस साहू

गुण्डरदेही।

 जिला – बालोद (छ.ग.) में पिछले एक माह से ‘‘जनजातीय समाज का गौरवशाली अतीत’’ ऐतिहासिक, सामाजिक एवं आध्यात्मिक योगदान के विषय में विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। आज समापन समारोह में मुख्य अतिथि जी.आर.राना (पूर्व अध्यक्ष, छ.ग. राज्य अनुसूचित जनजाति आयोग) जनजातीय समाज का गौरवशाली अतीत के विषय में विस्तृत व्याख्यान दिये, जिसमें आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों में वीर नारायण सिंह, बिरसा मुंडा, तिलका मांझी, गुण्डाधूर आदि के महत्वपूर्ण योगदानों का वर्णन किया गया।

विशिष्ट अतिथि राजेन्द्र राय (पूर्व विधायक, विधानसभा क्षेत्र, गुण्डरदेही, जिला – बालोद) ने आदिवासी समाज के प्रति युवाओं से सोंच बदलने का आग्रह किया। जनभागीदारी प्रबंधन समिति के अध्यक्ष अश्वनी यादव जी ने आदिवासी समाज के गौरवगाथा को आत्मसात् करने हेतु छात्र-छात्राओं को प्रोत्साहित किया। मुख्य वक्ता के रूप में पधारे कृष्णा साहू (जिला संयोजक, जनजातीय गौरव स्मृति कार्यक्रम एवं सचिव, वनवासी विकास समिति, जिला – बालोद) ने बताया कि, भारत के आदिवासी समाज के गौरव हेतु 15 नवम्बर 2024 से 15 नवम्बर 2025 तक गौरवगाथा मनाया जा रहा है।

इन्होंने भारत के इतिहास में जनजातीय नायकों के प्रति हुए उपेक्षा को प्रमुखता से उठाया और पहला स्वतंत्रता सेनानी 1880 में शहीद हुए तिलका मांझी को बताया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. चंदना बोस ने जनजातीय समाज से प्रकृति से जुड़ाव एवं संरक्षण के तरीकों को युवा पीढ़ी को सीखने का संदेश दिया।

‘‘जनजातीय समाज का गौरवशाली अतीत’’ के अंतर्गत महाविद्यालय में रंगोली, भाषण, निबंध इत्यादि विधाओं पर प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। इन प्रतियोगिताओं में प्रथम, द्वितीय स्थान प्राप्त प्रतिभागियों को अतिथियों द्वारा प्रमाण-पत्र एवं मेडल देकर सम्मानित किया गया।

इस कार्यक्रम में जनभागीदारी प्रबंधन समिति के सदस्य ठाकुर राम चन्द्राकर पुष्पेन्द्र चन्द्राकर थानसिंह मण्डावी रमेश सोनी एवं युवराज मारकण्डेय का सानिध्य मिला। कार्यक्रम का संचालन डॉ.के.डी.चावले ने एवं प्रस्तावना का वाचन कार्यक्रम के संयोजक डी.एस.सहारे ने किया।

कार्यक्रम के सहसंयोजक डॉ. अभिषेक पटेल ने आभार व्यक्त किया। इस कार्यक्रम में महाविद्यालय के छात्र-छात्राओं ने सांस्कृतिक कार्यक्रम के माध्यम से जनजातीय संस्कृति की जीवंत झांकी प्रस्तुत की। महाविद्यालय के छात्र-छात्राओं, प्राध्यापकों एवं अतिथि प्राध्यापकों की सक्रिय सहभागिता रही। राष्ट्रगान के साथ कार्यक्रम का समापन किया गया।

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