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प्रतिबंधित पेड़ों की कटाई एवं परिवहन के लिए माफिया जाल बिछाना चालू कर दिए,, वन विभाग की निष्क्रियता के चलते 12 आरा मिल में सिर्फ एक को किया सील, क्षेत्र में आरामिल पर हुआ इजाफा,,

गुण्डरदेही। 

परस साहू की विश्वसनीय कलम से

क्षेत्र में धान कटाई के बाद अब गांव-गांव में लकड़ी कोचिया सक्रिय हो गए हैं। फलदार एवं छांवदार वृक्षों की सौदा करने लकड़ी कोचिया सुबह से शाम तक गांवों में घूम रहे है और अर्जुन वृक्ष सहित छांवदार एवं फलदार वृक्षों की कटाई की तैयारी में है। दिसंबर महीने में एक बार फिर क्षेत्र के ग्रामीण अंचलों में अंधाधुंध वृक्षों की कटाई शुरू हो जाएगी। परंतु देखना होगा कि क्या इस बार जिला प्रशासन, वन विभाग एवं राजस्व विभाग लकड़ी की अवैध कटाई एवं परिवहन पर रोक लगाने में कामयाब होती है या फिर जिम्मेदार अधिकारियों की सांठ गांठ के चलते लगातार वृक्षों कटाई और परिवहन जारी रहेगा। 

जिला प्रशासन, वन विभाग एवं राजस्व विभाग द्वारा पर्यावरण बचाने किसानों कोई जागरकता अभियान नहीं चलाया जा रहा है। जिसका फायदा उठाकर लकड़ी माफिया किसानों को चंद पैसे का लालच देकर लकड़ी की कटाई कर लेते हैं। आपको बता दें कि क्षेत्र के अधिकांश ग्रामों में धान कटाई अंतिम चरण पर है। दिसंबर के पहले सप्ताह में धान की कटाई लगभग पूर्ण हो जाएगी। ऐसे में लकड़ी कोचिया भी अब पूरी तैयारी के साथ अर्जुन वृक्ष एवं फलदार व छांवदार वर्षों कटाई की तैयारी में लगे हुए है। 

जानकारी के मुताबिक लकड़ी माफिया सुबह से ही लकड़ी की कटाई में लग जाते हैं और देर रात तक मेटाडोर व ट्रैक्टर में लोडिंग करके सुबह 3 बजे से 5 बजे तक परिवहन करते हैं, वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में लकड़ी की अवैध परिवहन का सिलसिला सुबह से देर रात तक जारी रहता है, जिस पर कार्रवाई की आवश्यकता है। 

वही बीते वर्ष वन विभाग एवं राजस्व विभाग द्वारा गुण्डरदेही ब्लाक अंतर्गत ग्राम रजोली के एक आरामिल में छापेमार कार्रवाई के बाद मिल को सील कर दिया गया था। लेकिन गुण्डरदेही ब्लॉक में संचालित अन्य दर्जनों आरा मिलो पर कोई कार्रवाई नहीं हुई, जानकारी के मुताबिक ग्राम गुरेदा, ओटेबंद, अरजुंदा, गुण्डरदेही, सभी विभिन्न ग्रामों में आरामिल संचालित हो रही है जिस पर कार्रवाई की आवश्यकता है। वही वन विभाग, राजस्व विभाग पर भी सवाल खड़े होने लगे हैं कि क्या आगे भी आरामिलो पर छापेमार पर कार्रवाई होगी या जिम्मेदार अधिकारियों की सांठगांठ के चलते आरामिल संचालकों को संरक्षण मिलेगा। 

वैसे तो दुर्ग जिले के आरामिल संचालक बड़ी तादात में हर वर्ष बालोद जिले से अर्जुन वृक्ष की कटाई कर परिवहन करते हैं। जिसमें अधिकांश लकड़ी माफिया ग्राम आवरी और गाड़ाडीह व उतई के मिल संचालक शामिल है। अब देखना होगा कि क्या बालोद जिले में अर्जुन वृक्ष की अवैध कटाई एवं परिवहन का सिलसिला थमेगा या फिर अधिकारियों की मिलीभगत के चलते वृक्षों की अवैध कटाई और परिवहन को बढ़ावा मिलेगा।

कोरोना काल में शुद्ध ऑक्सीजन के अभाव में कई लोगों ने दम तोड़ दिए फिर भी माफिया के खिलाफ जिला प्रशासन गंभीर नहीं है। जिम्मेदार विभाग के अधिकारी अनैतिक काम करने वाले लोगों से दिवाली में पटाखा होली में आयुर्वेदिक गुलाल लगाकर जश्न मनाते हैं, दूसरी तरफ अस्पताल में भर्ती मरीज शुद्ध ऑक्सीजन के अभाव में दम तोड़ देते हैं। 

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