गुण्डरदेही।
जिला मुख्यालय बालोद से लगा हुआ ग्राम मेढ़की में पिपलेश्वर हनुमान मंदिर पर चल रही सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा के चौथे दिन गुरुवार को पंडित लोकेश शर्मा ने व्यास पीठ से कृष्ण जन्मोत्सव, राम कथा, समुद्र मंथन और गजेंद्र मोक्ष की कथा विस्तार से बताया। पंडित ने कहा कि व्यक्ति को अहंकार नहीं करना चाहिए,अहंकार बुद्धि और ज्ञान का हरण कर लेता है,अहंकार ही मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु है।जैसे ही कथा के दौरान कृष्ण जन्म का प्रसंग आया और कथा पंडाल में भगवान कृष्ण, वासुदेव मथुरा से गोकुल पहुंचने का अभिनय करते हुए मंच की ओर बढ़ने लगे वैसे ही पूरा पंडाल जयकारा से गुंजने लगा।
मुख्य जजमान और सह जजमानों ने भगवान कृष्ण व वासूदेव की अगवानी करते हुए कथा मंच पर ले गए। कृष्ण जन्मोत्सव का गीत कथा वाचक ने नंद के आनंद भयो,जय कन्हैया लाल की भजन प्रस्तुत किया तो बड़ी संख्या में श्रद्धालु झूम झूम कर नाचने लगे। पूरा कथा पंडाल भक्तिभाव से गोकुल नजर आने लगा।इस अवसर पर कृष्ण जन्म की बधाई दी गई। समिति द्वारा सभी श्रद्धालुओं को पंजरी,तीली की लड्डू और चॉकलेट प्रसाद स्वरूप दिया गया।
देवकी का आठवां पुत्र कंस का होगा काल
पंडित लोकेश शर्मा ने कहा कि अमरत्व पाने के लिए कंस ने घोर तपस्या की, जिस पर प्रसन्न होकर शिव ने उन्हें दिव्य धनुष प्रदान किया। जिसे लेने के बाद उसने अपने पिता को बंधक बनाकर जेल में डाल दिया और खुद राजा बन गया। उसने अपनी बहन देवकी का विवाह वसुदेव के साथ किया। विदा करते समय आकाशवाणी हुई कि देवकी का आठवां पुत्र तेरा काल होगा। इस बात से कुंठित कंस ने देवकी का वध करना चाहा, इस पर वसुदेव ने कहा कि में आठवां पुत्र उसे पैदा होते ही दे देंगे। जिस पर कंस मान गया और कारावास में डाल दिया।
श्रीकृष्ण की जन्म कथा का प्रसंग सुनकर भाव विभोर हो उठे श्रद्धालु
श्रीकृष्ण की जन्म कथा का प्रसंग सुनकर श्रद्धालु भाव विभोर हो उठे। उन्होंने बताया कि जब अत्याचारी कंस के पापों से धरती डोलने लगी तो भगवान कृष्ण को अवतरित होना पड़ा, सात संतानों के बाद जब देवकी गर्भवती हुई तो उसे अपनी इस संतान को मृत्यु का भय सता रहा था,भगवान की लीला वे स्वयं ही समझ सकते है,भगवान कृष्ण के जन्म लेते ही जेल के सभी बंधन टूट गए और भगवान कृष्ण गोकुल पहुंच गए। पंडित ने कहा कि जब जब धरती पर धर्म की हानि होती है ,तब तब भगवान धरती पर अवतरित होते है।
गजेंद्र मोक्ष की कथा सुनाई
पंडित लोकेश शर्मा के कहा कि जब श्री हरि नंगे पैर भागे चले आए ,उसके भक्ति भाव से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से उस ग्राह का अंत करके गजेंद्र की रक्षा की ,इस प्रकार से भगवान श्रीहरि ने गजेंद्र को श्राप से मुक्त करके अपना वारिश बनाया,,उनके हाथों मृत्यु पाकर ग्राह भी मोक्ष का अधिकारी बना।
भगवान राम सभी नैतिक गुणों से संपन्न
पंडित ने संक्षिप्त में प्रभु राम अवतार का श्रवण कराया। बताया की भगवान राम अपने आचरण के लिए मर्यादा पुरूषोत्तम कहे जाते है क्योंकि भगवान राम सभी नैतिक गुणों से संपन्न है। प्रभु राम के द्वारा सभी दैत्यों का संहार किया गया. और मां सीता के हरण के बाद हनुमान से प्रभु की भेंट हुई व लंका दहन के साथ के पश्चात रावण वध का श्रवण कराकर भगवान राम के जीवन का संक्षिप्त रूप मे श्रवण कराया।
कथा के दौरान महिलाओं ने श्रीकृष्ण आरती भी की। इस मौके पर बड़ी संख्या में श्रोता मौजूद रहे।