गुण्डरदेही।
अंतिम दिन पंडित लोकेश शर्मा ने श्रीमद भगवत गीता में भगवान कृष्ण के उपदेशों का विस्तार से वर्णन किया गया है।भारी संख्या में श्रद्धालुओं ने पहले हवन यज्ञ में आहुति डाली और फिर प्रसाद ग्रहण कर पुण्य कमाया। कथा व्यास पंडित लोकेश शर्मा ने 7 दिन तक चली कथा में भक्तों को श्रीमद भागवत कथा की महिमा बताई। उन्होंने लोगों से भक्ति मार्ग से जुड़ने और सत्कर्म करने को कहा। उन्होंने ने कहा कि हवन-यज्ञ से वातावरण एवं वायुमंडल शुद्ध होने के साथ-साथ व्यक्ति को आत्मिक बल मिलता है। व्यक्ति में धार्मिक आस्था जागृत होती है। दुर्गुणों की बजाय सद्गुणों के द्वार खुलते हैं। यज्ञ से देवता प्रसन्न होकर मनवांछित फल प्रदान करते हैं। उन्होंने बताया कि भागवत कथा के श्रवण से व्यक्ति भव सागर से पार हो जाता है। श्रीमद भागवत से जीव में भक्ति, ज्ञान एवं वैराग्य के भाव उत्पन्न होते हैं। इसके श्रवण मात्र से व्यक्ति के पाप पुण्य में बदल जाते हैं। विचारों में बदलाव होने पर व्यक्ति के आचरण में भी स्वयं बदलाव हो जाता है।
गीता प्रथम अध्याय पाठ का महत्व और लाभ
पंडित लोकेश शर्मा ने कहा कि गीता में भगवान श्री कृष्ण ने रणभूमि में अर्जुन को जो ज्ञान दिया था। वह गीता में बताया गया है। गीता में कुल 18 अध्याय हैं और उन सभी ह अपना अलग अलग महत्व है। गीता उपनिषदों का सार है। महाभारत युद्ध के समय रणभूमि में भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को जो ज्ञान दिया था वह गीता में बताया गया है। गीता में ऐसी बहुत सी बातें हैं जो मनुष्य को जीवन की कई कठिनाइयों को आसान बनाती है। इतना ही नहीं गीता पढ़ने पर मनुष्य को बहुत सी नई जानकारियां भी मिलती है। साथ ही हर अध्याय के नियमित पाठ का अपना लाभ और महत्व है। भगवान शिव ने देवी पार्वती को गीता के पहले अध्याय के पाठ का महत्व जो बताया है वही यहां आपके लिए प्रस्तुत है। लेकिन गीता के पहले अध्याय के महत्व को जानने से पहले जान लीजिए। गीता के पहले अध्याय का नाम अर्जुन विषाद योग है। इस अध्याय में कुरुक्षेत्र के मैदान में उपस्थित बंधुओं और संबंधियों को सामने देखकर अर्जुन के मन में उठे विषाद और मनःस्थिति का वर्णन किया गया है, जिसे संजय धृतराष्ट्र को बताते हैं।
भागवत कथा के समापन पर किया गया विशाल भंडारे का आयोजन
इस अवसर पर समस्त ग्राम वासी मेडकी द्वारा भागवत कथा के समापन के अवसर पर विशाल भंडारे का आयोजन किया गया जिसमे बड़ी सख्या में लोग पहुचकर प्रसाद ग्रहण किए। इस अवसर पर श्रीकृष्ण की विशेष पूजा अर्चना कर भोग लगाकर जिसके बाद भंडारे का शुभारभ किया गया। बता दे की सोमवार की दोपहर को ग्राम मेंढकी में किसी भी धर में चूल्हा नही जला हैं इस दौरान पुरे ग्रामीण हनुमान मंदिर के सामने एक साथ महिला ,पुरुष व् बच्चे कतार बध्द बैठकर प्रसाद स्वरूप भोजन किए।