परस साहू
गुण्डरदेही।
02 एकड़ भूमि में मक्का उत्पादन कर अर्जित की
88 हजार रुपये से अधिक की शुद्ध आमदनी
भूजल के संरक्षण एवं संवर्धन हेतु जिला प्रशासन के प्रयासों की भूरी-भूरी सराहना की।
गुण्डरदेही//कलेक्टर इन्द्रजीत सिंह चन्द्रवाल के निर्देशानुसार जिले में पानी की बचत एवं भूजल के संरक्षण एवं संवर्धन हेतु बालोद जिला प्रशासन द्वारा कृषि एवं अन्य संबद्ध विभागों तथा आम जनता के सहयोग से चलाई जा रही पानी बचाओ अभियान किसानों एवं जिले वासियों के लिए हर दृष्टि से अत्यंत उपयोगी साबित हो रहा है। जिला प्रशासन के पानी बचाओ अभियान के अंतर्गत किसानों को ग्रीष्मकालीन धान के बदले अन्य फसल उत्पादन के लिए प्रेरित करने का यह महत्वपूर्ण कार्य जिले में पानी के संरक्षण एवं संवर्धन के अलावा भूजल स्तर में वृद्धि के साथ-साथ किसानों के आमदनी का भी बेहतर स्त्रोत बन गया है।
जिला प्रशासन के इस सराहनीय पहल के फलस्वरूप अपने खेतों में ग्रीष्मकालीन धान के बदले मक्के का फसल का उत्पादन करना जिले के आदिवासी बाहुल्य डौण्डी विकासखण्ड के ग्राम छिंदगांव के आदिवासी कृषक श्रवण के लिए अत्यंत लाभकारी कदम सिद्ध हुआ है। आज से कुछ साल पहले तक गर्मी के सीजन में धान का उत्पादन करने वाले किसान श्रवण के लिए गर्मी के सीजन में अपने लगभग 02 एकड़ जमीन में मक्के के पैदावार से धान की तुलना में उसे दुगुनी आय प्राप्त हुई है। जिला प्रशासन के इस अभिनव प्रयासों के फलस्वरूप किसान श्रवण कुमार ने लगभग 02 एकड़ कृषि भूमि में मक्का फसल का उत्पादन कर 88 हजार रुपये से अधिक की शुद्ध आमदनी प्राप्त की। उन्होेंने बताया कि 02 एकड़ भूमि में मक्का के उत्पादन करने में खाद, बीज एवं अन्य व्यवस्थाओं के लिए लगभग 11 हजार 800 रुपये का कुल खर्च आया।
बालोद जिला प्रशासन की इस बेहतरीन पहल की सराहना करते हुए किसान श्रवण ने बताया कि मेरे द्वारा ग्राम छिंदगांव के अपने पैतृक भूमि में लगातार ग्रीष्मकालीन धान का उत्पादन किया जा रहा है। एक दिन कृषि विभाग के अधिकारियों के द्वारा हम किसानों को धान के बदले अन्य फसल पैदावार के लिए प्रेरित करने हेतु आयोजित किए गए किसान चैपाल से प्रेरित होकर मैंने ग्रीष्मकालीन धान के बदले अन्य फसल लगाने का निर्णय लिया। इसके पश्चात् मैंने रबी सीजन 2024 में अपने लगभग 02 एकड़ कृषि भूमि में मक्के का फसल लगाया।
इस फसल के उत्पादन में खाद, बीज के लिए बहुत ही कम राशि लगने के अलावा पानी की खपत भी न के बराबर हुई। इस तरह से मात्र 11 हजार 800 रुपये की राशि के कुल खर्चें में उसे मक्के की बिक्री 01 लाख रुपये की राशि प्राप्त हुई। इस तरह से उन्होंने 02 एकड़ में मक्के की खेती कर 88 हजार 200 रुपये की शुद्ध आमदनी प्राप्त की। किसान श्रवण कुमार ने बताया कि ग्रीष्मकालीन धान के बदले मक्के के फसल का उत्पादन करना उनके लिए हर दृष्टि से लाभप्रद एवं अत्यंत कारगर सिद्ध हुआ। उन्होंने बताया कि मक्के के अवशेष को आगामी खरीफ वर्ष में अपने खेतों में सड़ाया जिससे उनके खेतों के संरचना में सुधार हुई।
जिसके फलस्वरूप इस वर्ष खरीफ सीजन में उनका धान का उत्पादन प्रति एकड़ 03 से 04 क्विंटल बढ़ गया। जिससे मैं प्रभावित एवं प्रेरित होकर मैंने मौजूदा रबी सीजन में भी मक्के का फसल उत्पादन करने हेतु कृषि विभाग डौण्डी से मक्का बीज लेकर अपने खेतों में फिर से मक्के का फसल लगाया हूँ, फसल बहुत ही अच्छी है। उन्होंने कहा कि इस तरह से जिला प्रशासन की प्रेरणा से ग्रीष्मकालीन धान के बदले अन्य फसल का उत्पादन करना हम किसानों के लिए हर दृष्टि से अत्यंत किफायती एवं लाभप्रद है। इसके अलावा ग्रीष्मकाल मेें धान के बदले अन्य फसल का उत्पादन करना पानी के संरक्षण एवं संवर्धन की दिशा में अत्यंत महत्वपूर्ण कदम है।