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जिले में युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया से अब बेहतर शिक्षा हेतु जगी है एक नई उम्मीद।

लीलाधर साहू

गुण्डरदेही।

युक्तियुक्तकरण से जिले के 20 शिक्षक विहीन स्कूलों को मिले शिक्षक जिले के एकल शिक्षकीय 123 स्कूलों में भी शिक्षकों की हुई पूर्ति

छत्तीसगढ़ में शिक्षा व्यवस्था को बेहतर करने के लिए मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया को तेजी से पूरा कराया है। जिससे बालोद जिले में भी शिक्षकों की कमी से जुझ रहे स्कूलों में बेहतर शिक्षा हेतु एक नई उम्मीद जगी है। इस प्रक्रिया का मुख्य उद्देश्य स्कूलों में शिक्षकों की कमी और संसाधनों के असमान वितरण की समस्या को दूर करना है।

शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने बताया कि बालोद जिल के 20 स्कूलों में शिक्षकों की कमी होने से वहां के बच्चे शिक्षा प्राप्त करने में कठिनाइयों का सामना कर रहे थे। साथ ही उनके पालक अपने बच्चों को प्राथमिक शिक्षा प्रदान करने के लिए चिंतित थे। लेकिन मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय के मार्गदर्शन में युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया लाई गई। इसके तहत जिले के अतिशेष शिक्षकों को शिक्षक विहीन एवं एकल शिक्षकीय स्कूलों में पदस्थापना की गई। जिले में सफलतापूर्वक युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया पूर्ण होने से जिले के सभी 20 गांव के शिक्षक विहीन स्कूलों में शिक्षकों की पूर्ति हो गई है। शिक्षक विहीन स्कूलों में शिक्षक मिलने से अब वहाॅ के बच्चों को शिक्षा से वंचित नहीं होना पड़ेगा। साथ ही उन्हें अब अपने गांव में ही उचित शिक्षा मिल पाएगी। वर्षों पुरानी शिक्षकों की कमी की समस्या से निजात मिलने से ग्रामीणों ने भी खुशी जताते हुए सरकार के युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया पर संतुष्टि जताई है।

शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने बताया कि जिले में कुल 123 एकल शिक्षककीय शाला थे। वर्षों से इन शालाओं में शिक्षकों की मांग की पूर्ति नहीं हो पा रही थी। परंतु युक्तियुक्तकरण के तहत अतिशेष शिक्षकों की काउंसलिंग के माध्यम से इन शालाओं में पूर्ति संभव हो पाई। इन विकासखंडो में अब कोई भी स्कूल शिक्षक विहीन नहीं रह गया है। एकमात्र शिक्षक के भरोसे स्कूल चलाना न केवल बच्चों के भविष्य के लिए हानिकारक था, बल्कि शिक्षा की गुणवत्ता पर भी गहरा प्रभाव डाल रहा था। लेकिन अब मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के सुशासन में युक्तियुक्तकरण की पहल ने इन स्कूलों में बेहतर शिक्षा हेतु एक नई उम्मीद की किरण जगाई है। नए शिक्षकों की पदस्थापना से न केवल स्कूल में पढ़ाई के स्तर में सुधार होगा, बल्कि इससे स्कूली विद्यार्थियों, पालकों, ग्रामीणों और स्कूल समिति के सदस्यों में भी खुशी की लहर दौड़ गई है।

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